The Author Neerja Pandey Follow Current Read पिशाच.. - 1 By Neerja Pandey Hindi Horror Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books પ્રેમ સમાધિ - પ્રકરણ-119 પ્રેમ સમાધિ પ્રકરણ-119 વિજયની ગાડી બંગલાની સાવ નજીક આવી ગઇ વ... ક્યાં છે સોનાની નગરી અલડોરાડો? માનવીને હંમેશથી અખૂટ સંપત્તિ મેળવવાની ઝંખના રહી છે અને સોનાન... ભાગવત રહસ્ય - 99 ભાગવત રહસ્ય-૯૯ હવે કપિલ ગીતાનો પ્રારંભ થાય છે. આ દિવ્ય પ્ર... સિંદબાદની સાત સફરો - 6 6.ફરીથી સહુ મિત્રો અને હિંદબાદ, સિંદબાદને ઘેર ભેગા થયા. સહુન... ખજાનો - 66 "અરે એમાં આભાર શાનો..? આપણે સૌ મિત્ર છીએ. એક ચોક્કસ હેતુ સાથ... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Neerja Pandey in Hindi Horror Stories Total Episodes : 12 Share पिशाच.. - 1 (27) 14.2k 25.6k 2 आज भैरवी को घर लौटने में कुछ ज्यादा ही देर हो गई थी। टैक्सी से जल्दी से उतर तेज कदमों से लगभग दौड़ती हुई लिफ्ट की ओर लपकी ।बार बार कोशिश करने पर भी लिफ्ट की डोर नही खुली। हार कर वो सीढ़ियों की ओर बढ़ी । पर सातवी मंजिल पर अपने फ्लैट तक सीढ़ियों से जाने का सोच के ही पसीने पसीने होने लगी। लेकिन और कोई चारा ना देख भैरवी थके कदमों से धीरे धीरे सीढियां चढ़ने लगी।अभी वो फर्स्ट फ्लोर ही पार कर पाई थी कि उसे लगा उसके साथ साथ किसी और के पद चाप भी आ रहे है। कंफर्म करने के लिए वो रुकी कि शायद कोई परिचित हो तो उसके साथ ही बात करते हुए फ्लैट तक चली जाए। साथ ही ये पता भी चल जाए कि क्या खराबी आ गई है लिफ्ट में ? और कब तक ठीक होगा? क्योंकि सुबह फिर ऑफिस जाना होगा तो वो कैसे जायेगी! एक तो ऑफिस जाने की जल्दी ऊपर से बिना लिफ्ट के सात मंजिल से सीढ़ियों से उतर कर जाने में तो पक्का ही देर हो जायेगी ऑफिस पहुंचने में। देर होने पर अपने खडूस बॉस का फेस एक्सप्रेशन सोच कर ही उसका मन खराब हो गया।वो रुक कर आहट लेने लगी पर उसे कुछ सुनाई नहीं दिया। सर झटक कर वो पुनः सीढियां चढ़ने लगी। अभी चार छह कदम ही चली होगी कि फिर से उसे लगा कोई उसके पीछे चल रहा है। अब वो नही रुकी सोचा वैसे ही इतनी देर हो गई है । अब वो और देर नही करेगी । ऐसा फैसला कर वो चलने लगी । वो जब भी रुकती कदमों की आहत रुक जाती और जब चलती तो फिर से उसे किसी के चलने की आहट आने लगती । किसी तरह भैरवी हाफती हुई सातवे मंजिल तक पहुंची । उसकी सारी शक्ति जवाब दे गई थी। जैसे ही वो लिफ्ट के पास पहुंची अचानक से उसका दरवाजा खुल गया। लिफ्ट में पहले से ही एक व्यक्ति मौजूद था। वो हतप्रभ सी देखती रह गई की अभी तो उसके इतने प्रयास के बाद भी लिफ्ट नही चली थी और अब ये व्यक्ति कैसे लिफ्ट में आ गया। ये पूछने के लिए वो बाहर निकलते हुए व्यक्ति के ओर आई और पूछा,"इसक्यूज मी .... अभी मैं आई तो लिफ्ट नही चल रही थी .... आप कैसे आए? "भैरवी को ये नही पता था कि वो लिफ्ट के बारे में पूछ कर अपनी अच्छी भली चल रही जिंदगी में किस मुसीबत को दावत दे रही है।वो व्यक्ति भैरवी के पूछने पर जाते हुए रुक गया और भैरवी की ओर मुड़ गया।भैरवी ने देखा तो वो ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले घोष अंकल थे। "अरे !!! अंकल आप ! लिफ्ट तो खराब थी, आप कैसे आए? "हमेशा मुस्कुरा कर प्यार से बात करने वाले घोष अंकल आज बिना उसकी बात का जवाब दिए विचित्र सी नज़रों से उसे घूर रहे थे। उनका चेहरा अजीब सा भाव हीन दिख रहा था। बिना उसके सवालों का जवाब दिए वो पलट कर जाने लगे। भैरवी आश्चर्य चकित थी की आज अंकल उससे बात क्यों नही कर रहे।हमेशा बेटी की तरह उस पर स्नेह बरसाने वाले अंकल को आज क्या हो गया?उसकी आवाज सुन बगल के फ्लैट में रहने वाली सुनीता बाहर आई और बोली,"अरे!! भैरवी आज बहुत देर हो गई आने में तुम्हे।"भैरवी पल भर के लिए सुनीता की ओर पलटी और बोली,"देखो ना आज घोष अंकल को पता नही क्या हो गया है? बात ही नही कर रहे। अभी मैं आई तो लिफ्ट नही चल रही थी और अभी घोष अंकल उसी लिफ्ट से ऊपर आए है।"इतना कह कर वो फिर से घोष अंकल की ओर मुड़ी । पर अब उनका नामो निशान कही नजर नही आ रहा था। "अरे घोष अंकल कहां चले गए!? " विस्मित सी भैरवी बोली।उसकी बातें सुनकर सुनीता उसके पास आ गई बोली, " क्या कह रही हो तुम ! घोष अंकल कहां से दिख गए तुम्हे वो भी लिफ्ट में ! क्या तुम्हे नही पता ! आज दोपहर बारह बजे , पता नही क्यों वो लिफ्ट में जा रहेथे और उनके चालू करते ही लिफ्ट का तार पता नही कैसे कट गया जिसमे उनकी मौत हो गई। आज सुबह से ही इस सब में ही व्यस्त थी तुम्हे फोन कर बता भी नही पाई। अभी शाम को तो उन्हे ले गए है।"सीढ़ी चढ़ते की थकान और उस पर ये सुन कर की घोष अंकल की मौत हो गई तो अभी जिससे वो बात कर रही थी वो कौन था?ये सोचते ही भैरवी चक्कर खा कर गिरने लगी। सुनीता ने उसे सहारा दे कर संभाला। तभी पता नही कहां से एक बड़ा सा उल्लू उड़ता हुआ आया और भरवी सर पे जोर से चोंच मार कर गायब हो गया। अब सुनीता भी डर गई । आवाज देकर उसने अपने पति को बुलाया और भैरवी के पर्स से चाभी निकाल कर उसके फ्लैट को खोला और पति की मदद से भैरवी को अंदर ला कर सोफे पर लिटा दिया।खुद किचेन में जाकर पानी ले कर आई और उसके उसके चेहरे पर छींटे मारने लगी। जाने क्या हुआ आगे अगले भाग में ..! 🙏🙏 › Next Chapter पिशाच.. - 2 - पिशाच के उल्टे पैर Download Our App